स्वामी विवेकानंद का जीवन दर्शन

उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये।

“जब तक जीना, तब तक सीखना” – अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं।

विवेकानंद एक मानवतावादी चिंतक थे, उनके अनुसार मनुष्य का जीवन ही एक धर्म है

जीवन का उद्देश्य दूसरों की सेवा करना है और उन्होंने लोगों को निस्वार्थ सेवा के माध्यम से समाज की भलाई के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित किया

सच्चा धर्म वह है जो विज्ञान की कसौटी पर खरा साबित हो

वास्तविक शिक्षा वह है जो किसी को अपने पैरों पर खड़ा होने में सक्षम बनाती है।