गणित:शून्य की अवधारणा का उपयोग।त्रिकोणमिति में ज्या (साइन) और कोज्या (कोसाइन) का परिचय।π (पाई) का सटीक मान निकालने का प्रयास।
खगोल विज्ञान:पृथ्वी की गोलाकारता और इसकी धुरी पर घूमने की अवधारणा।ग्रहों और तारों की गति का सटीक वर्णन।चंद्र और सौर ग्रहण की वैज्ञानिक व्याख्या।
समकालीन वैज्ञानिक
खगोलविज्ञान में सबसे पहली बार उदाहरण के साथ यह घोषित किया गया कि स्वयं पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है।
आर्यभट भारतीय गणितज्ञों में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इन्होंने 120 आर्याछंदों में ज्योतिष शास्त्र के सिद्धांत और उससे संबंधित गणित को सूत्ररूप में अपने आर्यभटीय ग्रंथ में लिखा है।
अधिकांश विद्वान मानते हैं कि आर्यभट्ट का जन्म बिहार राज्य के पटना जिले में स्थित कुसुमपुर (वर्तमान में पटना) में हुआ था
आर्यभट्ट ने π का मान 3.1416 के लगभग निकाला, जो आज भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। उन्होंने यह मान 62,832/20,000 के रूप में दिया, जो 3.1416 के करीब है।
बैसिलस आर्यभट, इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा २००९ में खोजी गयी एक बैक्टीरिया की प्रजाति का नाम उनके नाम पर रखा गया है।