Amritanj Indiwar
जलवायु परिवर्तन के कारण धरती के तापमान में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। प्रचंड गर्मी वैश्विक संकट के रूप में धरती के प्राणियों के लिए कहर बरपा रही है। चारों तरफ त्राहिमाम है। मनुष्य गर्मी से बचाव और राहत के लिए अत्याधुनिक संसाधनों का उपयोग करके गर्मी की तपिश को कम करने में जुट है, इससे इतर वनप्राणियों व जलप्राणियों के लिए भीषण गर्मी जानलेवा बन गई है। धरती क्यों तप रही है? विशेषज्ञ धरती को गर्म होने के कई कारण मानते हैं। ग्रीन गैसों का उत्सर्जन व ग्रीन हाउस प्रभाव के अलावा अन्य कारण भी प्रमुख है।
हीट वेब की स्थिति व ग्रीन हाउस प्रभाव
शहर में वातानुकूलित संयंत्र (एसी), कूलर, रेफ्रिजरेटर आदि से ठंडक तो पहुंच रही है परंतु इसकी कीमत धरती के बढ़ते तापमान से चुकाई जा रही है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि कानपुर के मौसम विभाग ने हीट वेब की स्थिति पर शोध कार्य शुरू किया है। शोध में यह कहा गया है कि कंक्रीट की इमारतों का तापमान मिट्टी की दीवारों के तापमान से 5-6 गुना अधिक पाया गया है।
धरती क्यों तप रही है? विशेषज्ञ मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन एवं अन्य कारणों से धरती का तापमान बढ़ रहा है। परिणामतः हृदयघात, ब्रेन स्ट्राॅक, त्वचा रोग, सांस की बीमारियां आदि के मामले बढ़ गए हैं। हीट स्ट्रोक के कारण देश के विभिन्न प्रांतों में सैकड़ों लोगों की जानें चली जाती है।
बिहार के शहर हीट वेब के कारण गर्म टापू में तब्दील
बिहार के पटना, गया, बक्सर, भागलपुर, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बांका, औरंगाबाद, जमुई आदि जिले के लोग हीट स्ट्रोक से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। इंडियन मेट्रोलाॅजिकल सोसायटी के अध्यक्ष डाॅ. प्रधान पार्थ सारथी की मानें तो पिछले 13 साल में अक्टूबर से फरवरी तक के आंकडे़ में बताया गया है कि बिहार के शहर हीट वेब के कारण गर्म टापू में तब्दील हो गए हैं। इससे बचने के लिए अधिकाधिक पैधे लगाने होंगे। शहर की अपेक्षा गांवों के लोग इस भीषण गर्मी से थोड़ी राहत में हैं।
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के पारू प्रखंडान्तर्गत चांदकेवारी के सामाजिक कार्यकर्ता फूलदेव पटेल कहते हैं कि गांव में खेत-खलिहान, पेड़-पौधे, बाग-बगीचा, नदी-पोखर आदि गांव की संपत्ति है। गांव के लोग अत्यधिक गर्मी पड़ने पर बरगद, पीपल, आम, नीम आदि के वृक्ष के पास खाट, बोड़ी, कुर्सी आदि लगाकर प्राकृतिक हवा से चित्त और काया को शीतलता प्राप्त करते हैं। किसान के लिए एसी-कूलर तो नहीं उनके पास वृक्ष की छाया है। पर्यावरण के सच्चे हितैषी किसान ही हैं। हालांकि इधर संभ्रांत व सुखी परिवार के लोग एसी-कूलर, फ्रीज आदि अपने घरों में लगाकर कृत्रिम वातावरण में जी रहे हैं। ऐसा लगता है कि देखादेखी ग्रामीण इलाकों में आने वाले समय में एसी-कूलर लगाना आम बात हो जाएगी।
जलवायु परिवर्तन और असामान्य होते जन-जीवन का प्रमुख कारण है-
ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन:
मानव गतिविधियां: जीवाश्म ईंधन (जैसे कोयला, तेल और गैस) जलाना, जंगलों की कटाई, और औद्योगिक प्रक्रियाएं कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करती हैं।
प्राकृतिक स्रोत: ज्वालामुखी विस्फोट और जंगलों की आग जैसी प्राकृतिक घटनाएं भी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करती हैं लेकिन मानव गतिविधियों का योगदान बहुत अधिक है।
ग्रीनहाउस प्रभाव: सूर्य से ऊर्जा पृथ्वी तक पहुंचती है और वायुमंडल द्वारा अवशोषित होती है। ग्रीनहाउस गैसें सूर्य से प्राप्त ऊष्मा को संधारित कर लेती है जिससे वायुमंडल का तापमान बढ़ जाता है। इससे पृथ्वी का औसत तापमान धीरे-धीरे बढ़ता है, जिसके परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग होती है।
अतिरिक्त कारक: समुद्री तापमान में वृद्धि, ग्रीनहाउस गैसें समुद्रों द्वारा भी अवशोषित होती हैं, जिससे उनका तापमान भी बढ़ जाता है। बढ़ते तापमान के कारण ध्रवीय बर्फ और ग्लेशियर पिघल रहे है, जो समुद्र के जलस्तर को बढ़ा रहा है और वायुमंडल में और अधिक CO2 छोड़ रहा है।
पृथ्वी के गर्म होने की समस्या, यानी ग्लोबल वार्मिंग को पूरी तरह से खत्म करना मुश्किल है, लेकिन हम इसके प्रभावों को कम करने और इसे और ज्यादा बिगड़ने से रोकने के लिए कई कदम उठा सकते हैं.
व्यक्तिगत स्तर पर: ऊर्जा का कम इस्तेमाल करेंरू बिजली के उपकरणों को बंद रखें, कम बिजली खर्च करने वाले उपकरण इस्तेमाल करें, कम कार चलाएं और सार्वजनिक परिवहन या साइकिल का इस्तेमाल करें.
नवीकरणीय ऊर्जा अपनाएं: अगर संभव हो तो अपने घर पर सौर पैनल लगवाएं या पवन ऊर्जा का इस्तेमाल करें। कम कागज का इस्तेमाल करें और रीसाइकिल करें. पेड़ काटने से बचें और कागज का कम इस्तेमाल करें. पुराने कागजों को रीसाइकिल करें।
पौधे लगाएं: पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं, इसलिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।
सरकारी और औद्योगिक स्तर पर
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना: सरकारों को सौर, पवन, और जलविद्युत जैसी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना चाहिए। उद्योगों को ऐसी मशीनों और तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए जिनसे कम ऊर्जा खर्च हो।
जंगल संरक्षण और वृक्षारोपण: सरकारों को जंगलों की कटाई रोकनी चाहिए और वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाने चाहिए। प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक गतिविधियों पर सख्त नियम लागू करने चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय सहयोगः ग्लोबल वार्मिंग एक वैश्विक समस्या है, इसलिए इसका समाधान भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ही संभव है. देशों को मिलकर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने और उनका पालन करने की जरूरत है। याद रखें, हर छोटा प्रयास भी फायदेमंद होता है।
निष्कर्ष
हम सब मिलकर धरती को गर्म होने से बचा सकते हैं। पौधे केवल फोटो सेशन के लिए नहीं अपितु पर्याप्त हरियाली के लिए लगाएं। पौधों की सिंचाई और देखभाल आवश्यक है। स्कूल, काॅलेज, शहर के सड़क के किनारे, मुहल्ले की सड़क के किनारे, कंक्रीट की इमारत के आसपास हरियाली बनाए रखने के लिए पौधारोपण के लिए सख्त कानून होना जरूरी है।
FAQs
प्रश्न: पृथ्वी गर्म क्यों हो रही है?
उत्तर: पृथ्वी के गर्म होने के दो मुख्य कारण हैं :
ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन, खासकर मानवीय गतिविधियों से (जीवाश्म ईंधन जलाना, जंगल कटाई) ग्रीनहाउस प्रभाव: ये गैसें वायुमंडल में गर्मी को फँसा लेती हैं, जिससे तापमान बढ़ जाता है.
प्रश्न: ग्लोबल वार्मिंग के क्या प्रभाव हैं?
उत्तर: ग्लोबल वार्मिंग के कई गंभीर प्रभाव हैं, जिनमें शामिल हैं: समुद्र तल का बढ़नाअधिक तीव्र मौसम घटनाएं (बाढ़, सूखा, गर्मी लहरें), खाद्य सुरक्षा को खतरा वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्रों पर नकारात्मक प्रभाव.
प्रश्न: हम ग्लोबल वार्मिंग को कैसे रोक सकते हैं?
उत्तर: पूरी तरह से खत्म करना मुश्किल है, लेकिन हम इसे कम करने के लिए कदम उठा सकते हैं: ऊर्जा बचाना, नवीकरणीय ऊर्जा अपनाना, कम कागज का उपयोग करना, और पौधे लगाना. नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना, ऊर्जा दक्षता को बढ़ाना, जंगलों का संरक्षण करना, और कड़े पर्यावरण नियम लागू करना.ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित करना और उनका पालन करना.
Chinta ka Vishay hai heat wave.
Informative article 👍