सुरक्षा का रखें ध्यान : सावधानी हटी, दुर्घटना घटी

सुरक्षा का रखें ध्यान: सावधानी हटी, दुर्घटना घटी
पावनी गुप्ता कक्षा : 5 वीं DWPS, Muzaffarpur

आजकल लोगों में काम करने का इतना भूत सवार है कि चल नहीं दौड़ रहे हैं, बिना अपने स्वास्थ्य की परवाह किए। उन्हें घटना, दुर्घटना, असुरक्षा आदि का ख्याल नहीं कि थोड़ी-सी लापरवाही उनके जीवन के लिए खतरा साबित हो सकती है। यदि बचपन से सुरक्षा के नियमों का पालन करें तो भविष्य में किसी भी प्रकार की घटना-दुर्घटना नहीं होगी। ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’, सावधान! आगे तंग रास्ता है धीरे जाए’, वाहन चलाने के समय नशीले  पदार्थ का सेवन न करें’, ‘धीरे चलें’ आदि स्लोगन सड़क किनारे, रेलवे फाटक, बस अड्डे आदि पर लिखे होते हैं। इसके बावजूद हम सभी यातायात के नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं। सुरक्षा का रखें  ध्यान : सावधानी हटी, दुर्घटना घटी.

यदि हम सभी बच्चे बचपन से घर, स्कूल, बाजार, सड़क, पार्क, खेल के मैदान आदि जगहों पर अनुशासन में रहे तो बड़े होने पर सेफ्टी रूल्स  के पालन करने की आदत हो जाएगी। यातायात के नियमों के पालन करने से केवल जाम ही नहीं बल्कि जीवन में भी संभल-संभलकर चलने की आदत बन जाएगी। इससे खुद की सुरक्षा और औरों को परेशानियों से आसानी से निजात दिलाया जा सकता है।

सुरक्षा का रखें ध्यान: सावधानी हटी, दुर्घटना घटी

आइए जानते हैं विस्तार से सुरक्षा क बारे में:-

सुरक्षा की चाबी: बचाओ के लिए सबसे जरूरी है सामान्य ज्ञान (जेनरल नॉलेज) हमें बताता है कि जोखिम है या नहीं। जब भी आप सड़क पार करें तो दाएं-बाएं दोनों तरफ देखकर जे़बरा क्रॉसिंग पार करें। यह जरूरी है कि आप मौसम के हिसाब से कपड़ों का इस्तेमाल करें। बारिश के मौसम में रेनकोट और जाड़े में स्वेटर, जैकेट, जूते-मोज़े का इस्तेमाल करें। हरेक कपड़े ढंग से पहनें। ज्यादातर दुर्घटना सड़कों पर अच्छे से गाड़ी नहीं चलाने की वजह से होती है। यातायात के नियमों का पालन करें। सिग्नल देखकर चलें। लाल, पीली, हरी बत्ती को देखकर रोड पार करें।

घर में खुद की सुरक्षा कैसे करें:

  • घर में गैस, पानी टंकी, बिजली स्वीच, खिड़की के कांच आदि इस्तेमाल करने से पहले सेफ्टी का ध्यान रखना पड़ता है।
  • यदि एलपीजी गैस का रिसाव हो तो सबसे पहले रेगुलेटर बंद करें।
  • घर की खिड़की और दरवाजे खोल दें जिससे गैस बाहर निकल जाए।
  • कोई भी बिजली का सामान न चालू करें। जैसे- बल्ब, पंखे आदि।
  • गैस एजेंसी के फोन पर तत्काल सूचना दें। स्थिति अनियंत्रित होने के बाद अग्निशामक दास्ता (फायर ब्रिगेड) को सूचित करें। ऐसे तो आज के समय में सभी घरों में अग्निशामक यंत्र रखना चाहिए।सुरक्षा का रखें ध्यान: सावधानी हटी, दुर्घटना घटी

कुछ और नियम जिनका रखना चाहिए ध्यानः

  • बिजली के कटे तार को न छुएं क्योंकि मनुष्य का शरीर विद्युत का सुचालक होता है।
  • भीगे हुए हाथों से बिजली के तार न छुएं।
  • ध्यान रखें कि सभी तार प्लास्टिक के कवर से ढके हो।
  • जब भी बिजली का स्वीच या अन्य सामग्री को छूने से पहले चप्पल अवश्य पहनें।
  • कोई बीमार पड़े तो बिना किसी डॉक्टर की राय के दवा का सेवन न करें।
  • किताबें और खिलौने यत्र-तत्र न फेकें।
  • खेल के मैदान में ध्यान रखने योग्य बातें:
  • जब भी आपका मित्र झूला झूल रहा हो तो उसके पास न जाएं।
  • झूला झूलते वक्त ऊपर से नीचे आने पर ध्यान रखें कि कोई बच्चा नीचे न हो।
  • तैरने के स्थान पर अकेले न तैरे। किसी की देखभाल में तैरना सीखें। वरना आप डूब सकते हैं।
  • लोहे के तार न छूएं।
  • पानी, बिजली, ईंधन सेव (बचाएं )करें।
  • खेल खेलते वक्त दुश्मनी  न निभाएं। टीम स्पिरिट बनाएं रखें। प्रतिद्वंदी की जगह खुद को रखकर सोंचे। खेल भावना को ध्यान में रखते हुए खेल नियमों का पालन करें।
  • चोट लगने पर घबराएं नहीं बल्कि बड़े को बुलाएं।
  • अपने सामान्य ज्ञान का इस्तेमाल करें।
  • अपने स्कूल में प्राथमिक उपचार सामग्री का खुद इस्तेमाल करना सीखें।
  • आग से जलने पर आप जले हुए स्थान पर ठंडा पानी का इस्तेमाल करते रहें। एक कपड़े में बेकिंग सोडा और पानी से उस जग को धोयें। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • चाकू, कैंची, सूई आदि नुकीली चीज से कट जाने पर घाव को साफ करके बैंडेज लगाएं। चोट वाले स्थान पर बर्फ काम करती है।
  • गर्मी के दिनों में स्कूल जाने से पहले पानी की बोतल जरूर रखें। हमेशा  रूक-रूककर पानी पीयें।
निष्कर्ष: सेफ्टी का पालन हर विद्यार्थी के लिए आवश्यक होता है। बचपन की अच्छी आदत आगे चलकर अनुशासन बन जाती है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए समय-सारिणी बनानी चाहिए। समय की कीमत समझनी चाहिए। समय के अनुसार पढ़ाई-लिखाई और खेलकूद बच्चों के विकास के लिए आवश्यक  है। जीव-जंतुओं से प्यार करना चाहिए, नफरत नहीं। सभी जीव प्रेम के भूखे होते हैं। कमजोर, बेबस, मुसीबत में फंसे मित्र या आसपास के लोगों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए। मदद करनी चाहिए। बड़ों की आज्ञा का पालन व गुरुजी के मार्गदर्शन में पलने-बढ़ने वाले बच्चे परिवार ही नहीं समाज और देश  का नाम रौशन करते हैं।

 

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