कृषि के लिए सरकारी योजनाएं, सुविधाएं और धान की खेती की पूरी जानकारी आलेख में दी जा रही है। भारत और बिहार सरकार की खरीफ (धन) की खेती और प्रबंध की जानकारी आप किसानों के लिए है। भारत सरकार और राज्य सरकारें किसानों की सहायता और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाएं और सब्सिडी प्रदान करती हैं। यहां कुछ प्रमुख सरकारी योजनाओं और सब्सिडी की जानकारी दी जा रही है जो किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती हैं. कृषि के लिए सरकारी योजनाएं सब्सिडी और धान की खेती की जानकारी सभी किसानों के लिए खेतीबारी से पहले आवश्यक होती है.
कृषि के लिए सरकारी योजनाएं :
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)
उद्देश्य: किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
लाभ: पात्र किसानों को प्रतिवर्ष ₹6000 तीन समान किस्तों में प्रदान किए जाते हैं।
पात्रता: सभी छोटे और सीमांत किसान परिवार जिनके पास 2 हेक्टेयर तक कृषि भूमि है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)
उद्देश्य: किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और बीमारियों से होने वाले फसल नुकसान से बचाना।
लाभ: कम प्रीमियम दर पर व्यापक फसल बीमा कवरेज।
पात्रता: सभी किसान जिनकी फसलें इस योजना के तहत सूचीबद्ध हैं।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)
उद्देश्य: कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में समग्र विकास।
लाभ: कृषि उत्पादन में वृद्धि, जल संसाधनों का विकास, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, और मार्केटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार।
पात्रता: सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश।
सॉयल हेल्थ कार्ड योजना (SHC)
उद्देश्य: मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखना और सुधारना।
लाभ: मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से किसानों को मृदा परीक्षण की जानकारी और सुझाव प्रदान किए जाते हैं।
पात्रता: सभी किसान।
परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)
उद्देश्य: जैविक खेती को बढ़ावा देना।
लाभ: जैविक खेती के लिए वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण।
पात्रता: सभी किसान जो जैविक खेती में रुचि रखते हैं।
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC)
उद्देश्य: किसानों को सस्ती दर पर ऋण उपलब्ध कराना।
लाभ: फसली ऋण, उपकरण ऋण, और अन्य कृषि संबंधित आवश्यकताओं के लिए आसान ऋण।
पात्रता: सभी किसान।
कृषि यंत्रीकरण योजना
उद्देश्य: कृषि में मशीनीकरण को बढ़ावा देना।
लाभ: कृषि उपकरणों और मशीनों की खरीद पर सब्सिडी।
पात्रता: सभी किसान।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM)
उद्देश्य: बागवानी क्षेत्र का समग्र विकास।
लाभ: बागवानी फसलों के लिए वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण, और उपकरण सब्सिडी।
पात्रता: सभी बागवानी किसान।
मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन (SHM)
उद्देश्य: मृदा की उर्वरता को बनाए रखना।
लाभ: मृदा परीक्षण, उर्वरकों का सही उपयोग, और मृदा सुधार के उपाय।
पात्रता: सभी किसान।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)
उद्देश्य: सिंचाई की सुविधाओं का विकास।
लाभ: सिंचाई प्रणाली के विकास, पानी की दक्षता बढ़ाने और हर खेत को पानी पहुंचाने के लिए वित्तीय सहायता।
पात्रता: सभी किसान।
ये योजनाएं और सब्सिडी किसानों की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई गई हैं। किसानों को इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए संबंधित सरकारी विभागों से संपर्क करना चाहिए और आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत करने चाहिए। सरकारी योजनाओं की जानकारी और सही समय पर आवेदन करके किसान अपनी कृषि उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकते हैं और आर्थिक रूप से सशक्त हो सकते हैं।
बिहार सरकार की कृषि योजना :
बिहार सरकार ने 2024 में किसानों के लिए कई लाभकारी योजनाएं शुरू की हैं, जिनका उद्देश्य कृषि को बढ़ावा देना और किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारना है।
बिहार राज्य फसल सहायता योजना (Bihar Rajya Fasal Sahayata Yojna)
यह योजना प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा आदि से फसल नुकसान की स्थिति में किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इस योजना के तहत, यदि वास्तविक फसल उत्पादन दर में 20% की कमी आती है, तो किसानों को प्रति हेक्टेयर 7,500 रुपये की दर से अधिकतम 15,000 रुपये की सहायता दी जाती है। यदि कमी 20% से अधिक होती है, तो प्रति हेक्टेयर 10,000 रुपये की दर से अधिकतम 20,000 रुपये की सहायता दी जाती है। योजना के लिए पंजीकरण ऑनलाइन पोर्टल पर किया जा सकता है : https://dbtagriculture.bihar.gov.in/
परमपरागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana)
इस योजना का उद्देश्य जैविक खेती के माध्यम से मृदा उर्वरता बढ़ाना और स्वस्थ भोजन का उत्पादन करना है। इस योजना के तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर 31,500 रुपये की सहायता दी जाती है। ये योजनाएं किसानों को वित्तीय सहायता, तकनीकी जानकारी और आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कर उनकी कृषि उत्पादकता और आय को बढ़ाने में सहायक हैं। अधिक जानकारी और पंजीकरण के लिए संबंधित आधिकारिक पोर्टल पर जा सकते हैं।
धान की फसल के लिए खेतों की तैयारी कैसे करें :
धान उत्पादन के लिए खेत की तैयारी करने के लिए कुछ मुख्य चरण होते हैं। ये चरण खेत की मिट्टी की तैयारी, बीज का चयन, खाद का उपयोग, पानी प्रबंधन, और कीट-रोग नियंत्रण की योजना बनाना शामिल होते हैं। यहां धान उत्पादन के लिए खेत की तैयारी करने के कुछ उपाय हैं:
फसल के लिए मिट्टी की तैयारी
उपयुक्त मिट्टी के लिए खेत का चयन करें, जिसमें अच्छा ड्रेनेज हो और मिट्टी में पोषक तत्वों की उचित मात्रा हो। मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए अच्छी ड्रेनेज योजना बनाएं।
फसल के लिए बीज का चयन :
उच्च गुणवत्ता वाले धान के बीज का चयन करें, जो आपके क्षेत्र में अच्छे परिणाम देते हों। स्थानीय बीज पसंद करें, जो आपके क्षेत्र की जलवायु और माटी के अनुसार अनुकूल हो।
फसल के लिए खाद का उपयोग :
खाद के लिए मिट्टी का परीक्षण करें और उसके आधार पर जरूरत के अनुसार खाद डालें। नियमित खाद देकर मिट्टी की पोषण को सुनिश्चित करें।
फसल के लिए पानी प्रबंधन :
धान के लिए उपयुक्त पानी प्रबंधन योजना बनाएं। सिंचाई की सही व्यवस्था करें, जैसे की बारिश के पानी का संचयन और सिंचाई के लिए कुँआ या टैंक निर्माण।
फसल के लिए कीट-रोग नियंत्रण :
कीट-रोग और विषाणुओं के खिलाफ सावधानी बरतें। समय पर कीटनाशक और रोगनाशक का उपयोग करें और नियमित जाँच कराएं।
फसल के लिए समय पर बुआई :
धान की सही बुआई के लिए समय रहे। साथ ही, खेत में बारिश से पहले या बाद में बुआई की जा सकती है, इस पर भी ध्यान दें। रोज़ाना की देखभाल धान की देखभाल के लिए नियमित रूप से खेत में जाँच करें। फसल को सही समय पर काटें और निर्यातन के लिए तैयार करें। उचित रोटेशन समय-समय पर खेत की धान के साथ अन्य फसलों का रोटेशन करें, ताकि मिट्टी की उपजाऊता बनी रहे। यदि आप इन उपायों को ध्यान से अपनाएंगे, तो धान उत्पादन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
फसल के लिए धान की कई उन्नत किस्में :
भारत में धान की कई उन्नत किस्में हैं जो उच्च पैदावार देती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख किस्में हैं:
- स्वर्णा (Swarna)
पैदावार: स्वर्णा धान की एक लोकप्रिय किस्म है, जो अच्छी पैदावार देती है। सही परिस्थितियों में, इसकी पैदावार 6-7 टन प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है।
खासियत: यह किस्म रोग-प्रतिरोधी और विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में अच्छी तरह से उगती है।
- आईआर-64 (IR-64)
पैदावार: आईआर-64 की पैदावार भी लगभग 6-7 टन प्रति हेक्टेयर होती है।
खासियत: यह किस्म विभिन्न रोगों और कीटों के प्रति सहनशील है और कई क्षेत्रों में व्यापक रूप से उगाई जाती है।
- बीपीटी 5204 (BPT 5204)
पैदावार: इसे संकर किस्मों के साथ मिलाकर उगाने पर 5-6 टन प्रति हेक्टेयर की पैदावार मिलती है।
खासियत: इसका चावल उच्च गुणवत्ता वाला होता है, जो विशेष रूप से बासमती जैसा होता है।
- हाइब्रिड किस्में (Hybrid Varieties)
पैदावार: हाइब्रिड धान की किस्में, जैसे कि DRRH-3, PAC-837, और PA-6444, उच्च पैदावार देती हैं, जो 8-10 टन प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है।
खासियत: ये किस्में संकर होती हैं और उन्हें विशेष रूप से उच्च उत्पादन के लिए विकसित किया गया है।
- पुष्पा (Pusa Basmati 1121)
पैदावार: यह किस्म विशेष रूप से बासमती धान की किस्म है, जो 4-5 टन प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती है।
खासियत: इसका चावल लंबा और सुगंधित होता है, जो बाजार में ऊंची कीमत पर बिकता है।
निष्कर्ष : सबसे अधिक पैदावार देने वाली धान की किस्म का चयन करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों से परामर्श करना और स्थानीय जलवायु तथा मृदा परिस्थितियों के आधार पर सही किस्म का चयन करना आवश्यक है। इन सभी किस्मों की जानकारी और अधिक विवरण के लिए आप कृषि विश्वविद्यालयों और सरकारी कृषि संस्थानों की वेबसाइट्स से परामर्श कर सकते हैं।
धान की सबसे अच्छी किस्म कौन-सी है?
धान की सबसे अच्छी किस्म का चयन मुख्य रूप से आपकी आवश्यकताओं और स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है। हालांकि, कुछ प्रमुख किस्में हैं जो अपनी उच्च गुणवत्ता और उत्पादकता के लिए प्रसिद्ध हैं:
- पुसा बासमती 1121 (Pusa Basmati 1121) गुणवत्ता: इस किस्म का चावल लंबा, पतला और सुगंधित होता है। उपयोग: बासमती चावल के लिए उपयुक्त, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में उच्च मांग में है। पैदावार: औसत पैदावार लगभग 4-5 टन प्रति हेक्टेयर।
- स्वर्णा (Swarna) गुणवत्ता: अच्छी गुणवत्ता वाला साधारण चावल। उपयोग: सामान्य घरेलू और व्यावसायिक उपयोग। पैदावार: औसत पैदावार 6-7 टन प्रति हेक्टेयर।
- आईआर-64 (IR-64) गुणवत्ता: साधारण चावल, रोग प्रतिरोधी। उपयोग: व्यापक रूप से उगाया जाता है, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों द्वारा। पैदावार: औसत पैदावार 6-7 टन प्रति हेक्टेयर।
- सहभागी धान (Sahbhagi Dhan) गुणवत्ता: अच्छी गुणवत्ता वाला चावल, विशेष रूप से सूखा-प्रतिरोधी। उपयोग: उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त जहां पानी की कमी होती है। पैदावार: औसत पैदावार 3-4 टन प्रति हेक्टेयर।
- पुसा 44 (Pusa 44) गुणवत्ता: उच्च पैदावार देने वाली किस्म, कम अवधि की फसल। उपयोग: सामान्य घरेलू और व्यावसायिक उपयोग। पैदावार: औसत पैदावार 5-6 टन प्रति हेक्टेयर।
किसान अपनी मिट्टी, जलवायु और सिंचाई की उपलब्धता के आधार पर उपयुक्त किस्म का चयन कर सकते हैं। उच्च गुणवत्ता और पैदावार के लिए, पुसा बासमती 1121 और स्वर्णा जैसी किस्में लोकप्रिय विकल्प हैं। खेती शुरू करने से पहले, किसानों को स्थानीय कृषि विस्तार सेवाओं या कृषि विश्वविद्यालयों से परामर्श लेना चाहिए ताकि वे अपनी विशेष परिस्थितियों के लिए सबसे उपयुक्त किस्म चुन सकें।
कृषि के लिए सरकारी योजनाएं, सुविधाएं और धान की खेती के लिए उपयोगी जानकारी, वैज्ञानिक सलाह, कृषि विज्ञान केन्द्र से प्रशिक्षण, सब्सिडी पर ब्लॉक से खाद-बीज आदि की बंदोबस्त करना महत्वपूर्ण है। इसकी पूर्व से तैयारी कर लेनी चाहिए।विशेष जानकारी के लिए कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें।