रस की परिभाषा:
इस अध्याय में व्याकरण के महत्वपूर्ण टॉपिक प्रश्नावली सहित हिंदी : रस की परिभाषा एवं प्रकार के बारे में जानेंगे । संस्कृत के “रस” शब्द का अर्थ होता है “आस्वाद” या “आनंद।” भारतीय साहित्य में, रस का मतलब उस भावनात्मक अनुभूति से है जो पाठक या दर्शक को साहित्य या नाटक का अनुभव करते समय होती है। यह एक गहरा और अलौकिक आनंद होता है, जो कविता, नाटक, कहानी आदि के माध्यम से व्यक्त किया जाता है।
रस के प्रकार :
रस के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिन्हें “नवरस” के नाम से जाना जाता है। ये नौ रस विभिन्न भावों को प्रकट करते हैं। भरतमुनि द्वारा नाट्यशास्त्र में वर्णित ये नवरस हैं:
- शृंगार रस (shringar ras): प्रेम और सौंदर्य का भाव।
- वीर रस (vir ras): वीरता, शौर्य और साहस का भाव।
- करुण रस (karuna ras): दया, करुणा और दुःख का भाव।
- हास्य रस (hasya ras): हास्य और हंसी का भाव।
- रौद्र रस (raud ras): क्रोध और रोष का भाव।
- भयानक रस (bhayankar ras): भय और आतंक का भाव।
- वीभत्स रस (vibhats ras): घृणा और जघन्यता का भाव।
- अद्भुत रस (adbhut ras): आश्चर्य और विस्मय का भाव।
- शांत रस (shant ras): शांति और संतोष का भाव।
कुछ विद्वान बाद में वात्सल्य (प्रेम) और भक्ति (ईश्वर के प्रति प्रेम) को भी स्थायी भाव मानते हैं, जिससे रसों की संख्या ग्यारह हो जाती है।
सभी रसों की पहचान (sabhi ras ki pahchan):
रस स्थायी भाव (sthayi bhava), विभाव (vibhava), अनुभाव (anubhava) और संचारी भाव (sanchari bhava) के संयोग से रस उत्पन्न होता है।
स्थायी भाव: वह मूलभूत भाव जो पूरे रस का आधार बनता है। (उदाहरण के लिए, श्रृंगार रस में स्थायी भाव – प्रेम)
विभाव: वह वातावरण, पात्र या वस्तु जिससे स्थायी भाव जाग्रत होता है। (उदाहरण के लिए, प्रेमी का प्रेम पत्र – श्रृंगार रस में विभाव)
अनुभाव: पात्रों की शारीरिक और मानसिक दशाओं का प्रदर्शन जो स्थायी भाव को व्यक्त करता है। (उदाहरण के लिए, प्रेमी का मुस्कुराना – श्रृंगार रस में अनुभाव)
संचारी भाव: वे अस्थायी भाव जो स्थायी भाव को जगाते और उसे तीव्र करते हैं। (उदाहरण के लिए, प्रेमी की लज्जा – श्रृंगार रस में संचारी भाव)
यहाँ प्रत्येक रस की पहचान के कुछ उदाहरण दिए गए हैं:
- श्रृंगार रस (shringar ras):
- स्थायी भाव: प्रेम (prem)
- संचारी भाव: स्मित (hasya), लज्जा (lajja), मान (maan), ईर्ष्या (irshya)
प्रेमियों के बीच की मीठी नोकझोंक, प्रेम की पीड़ा, प्रेम का मिलन – ये सब श्रृंगार रस के उदाहरण हैं।
- वीर रस (vir ras):
- स्थायी भाव: वीरता (veerta)
- संचारी भाव: उत्साह (utsah), साहस (saahas), राग (raag), धैर्य (dhairya)
युद्ध भूमि पर योद्धा का पराक्रम, देशभक्ति, बलिदान की भावना – ये सब वीर रस के उदाहरण हैं।
- करुण रस (karuna ras):
- स्थायी भाव: करुणा (karuna)
- संचारी भाव: शोक (shok), संताप (santap), विषाद (vishad)
किसी प्रियजन की मृत्यु, वियोग का दुःख, दीनहीन की दशा – ये सब करुण रस के उदाहरण हैं।
- हास्य रस (hasya ras):
- स्थायी भाव: हास्य (hasya)
- संचारी भाव: हर्ष (harsha), प्रेक्षा (preksha), आनंद (aanand)
चुटकुले, विनोदपूर्ण परिस्थितियाँ, हास्यास्पद चरित्र – ये सब हास्य रस के उदाहरण हैं।
- रौद्र रस (raud ras):
- स्थायी भाव: क्रोध (krodh)
- संचारी भाव: मत्सर (matsar), द्वेष (dvesh), ईर्ष्या (irshya)
किसी के अत्याचार से पैदा हुआ गुस्सा, युद्ध का वातावरण – ये सब रौद्र रस के उदाहरण हैं।
इसी प्रकार से आप बाकी बचे हुए रसों की भी पहचान कर सकते हैं।
अतिरिक्त संकेत (additional suggestions):
साहित्य में इस्तेमाल किए गए शब्दों, वाक्यांशों और उपमाओं पर ध्यान दें। ये अक्सर रस को व्यक्त करने में मदद करते हैं। पात्रों के हाव-भाव और कथनों से भी रस की पहचान की जा सकती है। रस का उद्देश्य पाठक या दर्शक में उसी भाव को जगाना होता है, जो रचना में व्यक्त किया गया है। इन तरीकों से आप किसी भी रचना में उपस्थित रस की पहचान कर सकते हैं।
रस से संबंधित वस्तुनिष्ठ प्रश्न (questions associated with Ras)
- निम्नलिखित में से कौन सा रस प्रेम और सौंदर्य का भाव व्यक्त करता है?
(a) वीर रस (b) श्रृंगार रस (c) करुण रस (d) हास्य रस
उत्तर: (b) श्रृंगार रस
- रसों की संख्या कितनी है?
(a) 8 (b) 9 (c) 10 (d) 11
उत्तर: (b) 9
- रौद्र रस का स्थायी भाव क्या है?
(a) वीरता (b) क्रोध (c) दुःख (d) हास्य
उत्तर: (b) क्रोध
- भयानक रस का उपयोग किस प्रकार के साहित्य में किया जाता है?
(a) हास्य रस (b) भक्ति रस (c) रहस्य कथा (d) प्रेम कहानी
उत्तर: (c) रहस्य कथा
- रस की अवधारणा किस साहित्यिक परंपरा से संबंधित है?
(a) पाश्चात्य (b) भारतीय (c) चीनी (d) जापानी
उत्तर: (b) भारतीय
- निम्नलिखित में से कौन सा रस विस्मय और आश्चर्य का भाव व्यक्त करता है?
(a) शांत रस (b) अद्भुत रस (c) वीभत्स रस (d) भयानक रस
उत्तर: (b) अद्भुत रस
- रस सिद्धांत के अनुसार, नाटक या काव्य रचना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) शिक्षा देना (b) मनोरंजन करना (c) रस का अनुभव कराना (d) सामाजिक परिवर्तन लाना
उत्तर: (c) रस का अनुभव कराना
- रस की पहचान के लिए निम्नलिखित में से कौन सा तत्व महत्वपूर्ण नहीं है?
(a) स्थायी भाव (b) संचारी भाव (c) कथानक (d) भाषा
उत्तर: (c) कथानक
- रस का पाठक के भावों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(a) रस पाठक के भावों को उत्तेजित करता है। (b) रस पाठक के भावों को शांत करता है।
(c) रस पाठक के भावों को बदल देता है। (d) रस पाठक के भावों पर कोई प्रभाव नहीं डालता है।
उत्तर: (a) रस पाठक के भावों को उत्तेजित करता है।
- निम्नलिखित में से कौन सा रस वात्सल्य भाव को व्यक्त करता है?
(a) श्रृंगार रस (b) वात्सल्य रस (c) करुण रस (d) हास्य रस
उत्तर: (b) वात्सल्य रस
- रस सिद्धांत का अध्ययन साहित्य के पाठक को क्या लाभ प्रदान करता है?
(a) रचनाओं में निहित भावों को समझने में मदद करता है। (b) रचनाओं का अधिक आनंद लेने में मदद करता है।
(c) रचनाओं की आलोचनात्मक समीक्षा करने में मदद करता है। (d) उपरोक्त सभी।
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी।
- रस की अवधारणा आधुनिक साहित्य में भी प्रासंगिक है?
(a) हाँ (b) नहीं (c) कुछ हद तक (d) इसका कोई निश्चित उत्तर नहीं है।
उत्तर: (a) हाँ
- रस की तुलना पश्चिमी साहित्य में पाए जाने वाली विधाओं से कैसे की जा सकती है?
(a) रस को पश्चिमी विधाओं का भारतीय समकक्ष माना जा सकता है। (b) रस और पश्चिमी विधाओं के बीच कुछ समानताएं और कुछ अंतर हैं। (c) रस और पश्चिमी विधाओं का कोई संबंध नहीं है।
रस सिद्धांत के प्रमुख आचार्यों नाम हैं:
भरतमुनि (bharata muni): नाट्यशास्त्र ग्रंथ के रचयिता माने जाते हैं, जिसे रस सिद्धांत का आधारभूत ग्रंथ माना जाता है। उन्होंने नवरसों का वर्णन किया और यह बताया कि कैसे विभाव, अनुभाव और संचारी भाव मिलकर रस की निष्पत्ति करते हैं।
आचार्य अभिनवगुप्त (abhinavagupta): उन्होंने भरतमुनि के सिद्धांतों पर विस्तार से चर्चा की और रसानुभूति के मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार रस का अनुभव अलौकिक और वास्तविक जीवन के सुख-दुख से भिन्न होता है।
भट्ट लोल्लट (bhatta lollata): भरतमुनि के सिद्धांतों के व्याख्याकारों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने रस की व्याख्या को नाट्य (अभिनय) के संदर्भ में ही सही माना।
शंकुक (shankuka): उन्होंने अनुगितिवाद नामक सिद्धांत का प्रतिपादन किया। उनके अनुसार, रस का अनुभव उसी प्रकार का होता है जैसा कि रस का स्थायी भाव (लोकिक जीवन में अनुभव किया जाने वाला भाव)।
भट्टनायक (bhattanayaka): उन्होंने रस को सांख्य दर्शन के त्रिगुण (सत्व, रज और तम) से जोड़कर व्याख्या की।
आपकी सलाह और कमेंट का इंतज़ार है . धन्यवाद !